गौरव श्री पुरस्कार से सम्मानित कवि श्री नरेश प्रसाद "नाहर" की काव्यो व महाकाव्यों का सृजन इ. सन १९६१ से २००९ तक हुआ। परन्तु उनके जीवन काल में मात्र दो पुस्तके "मांडवी " व "कुछ छिपे फूल उभरे काटे " ही प्रकाश में आ सके। इ. सन २०१० मे कवि नाहर के स्वर्गवास के बाद उनकी पत्नी शकुंतला देवी व करन प्रकाशन ने उनकी समस्त रचनाओ को प्रकाश मे लाने की जिम्मेदारी उठाई।
विगत कुछ वर्षो में, प्रकाशन उनकी ७ रचनाओं (काव्य व् महाकाव्य) को प्रकाशित करने व् पुस्तकाय तथा विमोचन सम्मोह के माध्यम से साहित्यकारों व् पाठको तक पहुचाँमे में सफल रहा है | इस प्रयाश सभी के सहयोग से लगातार आगे बढ़ रहा है |
मांडवी (महाकाव्य) १९८५
विगत कुछ वर्षो में, प्रकाशन उनकी ७ रचनाओं (काव्य व् महाकाव्य) को प्रकाशित करने व् पुस्तकाय तथा विमोचन सम्मोह के माध्यम से साहित्यकारों व् पाठको तक पहुचाँमे में सफल रहा है | इस प्रयाश सभी के सहयोग से लगातार आगे बढ़ रहा है |
"नाहर" की मुख्य कृतियाँ
प्रकाशित
मांडवी (महाकाव्य) १९८५
कुछ छिपे फूल उभरे कटे (कविता संग्रह) २०००
संकल्प (महाकाव्य) २०१४
बर्बरीक (महाकाव्य) २०१६
सूर्य पुत्र (महाकाव्य) २०१७
चित्रगुप्त चालीसा २०१५
वन्या (महाकाव्य) २०१८
व्रज्ज्वाला (महाकाव्य) २०१८
रसखान (काव्य) २०१८
अप्रकाशित
उर्मिला
(महाकाव्य)
कोशिकी
(काव्य)
दान दक्षिणा (महाकाव्य)
आग ओ पानी (काव्य)
सोये जागे सपने (कविता संग्रह)
गीता-यतन (महाकाव्य)
जीवयन (महाकाव्य)
अपनी (महाकाव्य)
संपादन
रसवंती (वार्षिक पत्रिका) - वर्ष १९७१ से
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