कवि नाहर - रचना भाव


सच बोल लेखनी तुझे कसम , अब आँख खोल सब  तोड़ भरम 
इतिहास  मुखर हो गया यहाँ , सब पन्ने हो आज़ाद गये 
बह गए ताज के राज़ सभी, कुछ पहले और कुछ बाद गये 

कुछ की गाथाये विस्तारित, कुछ की गयी तूने क्यों कम 
सच बोल लेखनी तुझे कसम , अब आँख खोल सब  तोड़ भरम 

कवि नाहर ने अपने काव्यो व महाकाव्यों के ऐसे चरित्रों व घटनाओ को प्रकाशित किया जो की लोकप्रिय लेखनी में कही छिप गये। जैसे की बर्बरीक (घटोत्कच का पुत्र), रोमा (बालि की पत्नी), मांडवी (भारत की पत्नी), ब्रज्ज्वला (कुम्भकर्ण की पत्नी) इत्यादि ।

ये सभी चरित्र न सिर्फ मतत्वपूर्ण थे, अपितु ज्ञान व त्याग से परिचायक वयक्तित्व भी थे। हलाकि जन समुदाय को इनके बारे में काम ही पता है, परन्तु इनकी कहानियाँ तथा रामायण व् महाभारत के घटनाक्रम  में इनका योगदान पढ़ना और जानना काफी रोमांचक और मनोवैज्ञानिक ज्ञान से भरपूर है |

ऐसे ही महान अपितु छिपे हुए चरित्रों व् घटनाओं को अपनी कविता तथा गद्य रचनाओ  के माध्यम से बार बार जीवंत कर, कवी नाहर ने अपना समस्त जीवन लेखनी को समर्पित कर दिया |





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